मुक्तक
मेरे दिल की दुनिया का नज़ारा और है कोई,
मुझे रुकना जहाँ है वो किनारा और है कोई,
हथेली की लकीरों को जऱा मै ध्यान से पढ लूँ,
लक़ीरो में मुझे लगता इशारा और है कोई…
मेरे दिल की दुनिया का नज़ारा और है कोई,
मुझे रुकना जहाँ है वो किनारा और है कोई,
हथेली की लकीरों को जऱा मै ध्यान से पढ लूँ,
लक़ीरो में मुझे लगता इशारा और है कोई…