मुक्तक
१.
तुम चालाक कभी मत बनना
गलतियां चाहे जितना कर लो
… सिद्धार्थ
२.
मैं, हर बार हार कर छुप कर बैठ जाती हूं
फीर एक फोन आता है… हेलो… तुम ठीक हो न?
एक प्यारी सुंदर आवाज …
जिस से छुपने की कोशिश में, हर बार पकड़ी जाती हूं
वो मां है मेरी जिस से हर बार मात खा जाती हूं…
…. सिद्धार्थ