मुक्तक
१.
इस दौर का जब भी इतिहास लिखा जायेगा
एक तुम्हारा नाम ‘ समद’ उस में दर्ज किया जायेगा
कि आंख वाले आंधो के नस्लों की फसलों के लिए
तुम्हारे अंधेपन को रौशनी का पैरोकार लिखा जाएगा ।
… सिद्धार्थ
२.
कुछ तो जूनू की ही बात थी, कुछ देश से भी प्यार था
बढ़ते रहे इंकलाब का नारा लिए काफिला बनता रहा।
…सिद्धार्थ
३.
तुमने कुछ कहा ही नहीं, सो हमने कुछ सुना ही नहीं
तुम तुम ही रह गए, बस हमने अपना हिस्सा बुना ही नहीं
कई बार दिल ने कहा, उठ कर कुछ सवाल करूं
तुम्हारे टूटने का डर था, सो हमने कुछ कहा ही नहीं
… सिद्धार्थ