मुक्तक
सत्ता पाने की लालच में सावरकर को ठुकराया है ,
देश का दुश्मन कहते थे उसको अब गले लगाया है,
जिस पिता ने अंतिम साँसों तक सावरकर का मान रखा
उस पिता के गौरव को तुमने सौदे में दफनाया है,
सत्ता पाने की लालच में सावरकर को ठुकराया है ,
देश का दुश्मन कहते थे उसको अब गले लगाया है,
जिस पिता ने अंतिम साँसों तक सावरकर का मान रखा
उस पिता के गौरव को तुमने सौदे में दफनाया है,