मुक्तक
ठोकरों से भी सम्भलने का हुनर सीखा है,
हमने हर हाल में चलने का हुनर सीखा है,
खुबियों और कमियों से हैं हम खुद के वाकीफ़
हमने आइनों में ढलने का हुनर सीखा है..
ठोकरों से भी सम्भलने का हुनर सीखा है,
हमने हर हाल में चलने का हुनर सीखा है,
खुबियों और कमियों से हैं हम खुद के वाकीफ़
हमने आइनों में ढलने का हुनर सीखा है..