मुक्तक
१.
आज चांद को देखा, वो बड़ी इंतजार के बाद आया
रौशनी के पलकों के तीर से गिर जाने के बाद आया ।
एक तुम हो और दूजा मेरा वो पागल सा आईना
देखूं खुद को तो ‘जां’ तेरी सूरत मुझे नज़र आया !
…सिद्धार्थ
२.
जाने तुम क्यूँ जल्दी मे थे रुठ के जाने को
आज दिल कह रहा है तुमको मनाने को !
…सिद्धार्थ
३.
तुम से तो हमारा प्रेम दोगुना है यारा
एक तुम एक तुम में वो यार हमारा !
…सिद्धार्थ
४.
बात ही करना है गर तो मेरे आंख में आंख डाल के बात कर
लड़ना है गर तो पीठ पीछे नहीं तलवार थाम के बात कर !
…सिद्धार्थ