मुक्तक
१.
फिकी मोरी चुनरी प्रीतम सांचा मेरा इंतजार है
दो नयनन में जबसे बसे हो तुम
धूल गए कजरे की धार है, क्या यही निगोड़ा प्यार है?
… सिद्धार्थ
२.
झूला-झूला के गीत गाये, करें अटखेलियां ‘हाय’ मोरी सहेलियां
जाने किस गली शाम हो जाये, जिंदगी बन जाय मेरी पहेलियां।
…सिद्धार्थ