मुक्तक
फिर वही यादें भूली बिसरी हुई आई ।
संग मीठी मधुर खुशबू ,बिखरी हुई आई ।
लौट आई हवा वसंती भी ,आंगन मे मेरे ,
सजी सवंरी रूत बीती ,फरवरी हुई आई ।
__________प्रमिलाश्री
फिर वही यादें भूली बिसरी हुई आई ।
संग मीठी मधुर खुशबू ,बिखरी हुई आई ।
लौट आई हवा वसंती भी ,आंगन मे मेरे ,
सजी सवंरी रूत बीती ,फरवरी हुई आई ।
__________प्रमिलाश्री