मुक्तक
१.
तुम शायद बहुत गमज़दा हो मुझ से
बस मैं शायद खुद से डरने लगी हूं
ये जो तुम हो न…
मेरे अंदर ही बसने लगे हो
मुझ संग रोने और हंसने लगे हो
… सिद्धार्थ
२.
सुना है तुम बड़े बेचैन फिरते हो
ये तुम्हारी आदत है या किसी से दिल लगा बैठे हो
बेरोजगारी के दौर में व्यस्त रहने के लिए
पानी में आग लगा बैठे ह ?
जो ये सच है जाना, तो अपने लिए अजाब मांग बैठे हो
अपने अक्लो होश से ये दुश्मनी तो ठीक नही
नाहक ही मुख्तलिफ सा दर्द आजमा बैठे हो…
… सिद्धार्थ
… सिद्धार्थ