मुक्तक
१.
बस चाहतें ज़िंदा रहे जिंदगी की सूर्यास्त होने तक
दिल का क्या है वो तो आज धड़का कल भूल गया।
…सिद्धार्थ
२.
किसी को परवाह नही तो क्या कीजे
इश्क देह की नही रूह की इबादत है।
इश्क में मलाल न रख ज़ीस्त में ज़िस्म मिले ही
ये वस्ल की राहत ही नही, इश्क़ की तौफ़ीक़ है।
…सिद्धार्थ