मुक्तक
१.
मैं कुछ रोज उस से जाके उलझ जाती हूँ
सुलझाने की ज़िद में और उलझ जाती हूँ।
…सिद्धार्थ
२.
बहस में जाओगे तो हार ही जाओगे
इश्क को भला क्या दलील दे पाओगे।
… सिद्धार्थ
३.
मौत सस्ती थी ये जिंदगी महंगी लग रही है
जिंदगी अब क्रज मौत इश्क सी लग रही है !
…सिद्धार्थ