मुक्तक
१.
हम भारत के नीच लोग नीचे गिरते ही जाएंगे
किसान न रहे तो क्या हम एक दूजे को ही खाएंगे ???
… सिद्धार्थ
२.
चल सखी हम घास काट कर लाएं
लाते लाते हम घास हो जाएं
उनके झूठे अभिमानों पे
हम आज सखी सरपट उग जाएं
चल सखी हम घास की प्रकृति चुरा लाएं
…सिद्धार्थ
३.
मेरे हांथों में वो बात नही है पुर्दिल
जो ग़ुबार-ए-कारवाँ को साफ़ कर दे
चश्म से पर्दा उठाए और खिला सा राह गढ़ दे।
…सिद्धार्थ