मुक्तक
१.
आईने ने हंस कर कहा उम्र ने तो बस अपना काम किया
देह के कोरे किताब पर कुछ लकीरों को तेरे नाम किया !
…सिद्धार्थ
२.
मेरा चाक-ए-गरेबाँ वो खुशबुओं का दोआबा है
मैं उस को गले लगाऊँ कैसे वो दूर बेहिसाब है ।
…सिद्धार्थ
३.
क्यूं न आज कुछ ऎसा किया जाय
चल के बचपन के बाहों में बांह दिया जाय
फूलों का रंग तितलियों को भी दिया जाय…
… सिद्धार्थ