मुक्तक
जाति-पाति के भेद की ऐसी है दीवार,
इसे तोड़ने में स्वयं प्रेम गया है हार ।
किन्तु मानूंगा नहीं मेरा ये है विचार ,
इसे हराने के लिए प्रतिपल हूँ तैयार…
जाति-पाति के भेद की ऐसी है दीवार,
इसे तोड़ने में स्वयं प्रेम गया है हार ।
किन्तु मानूंगा नहीं मेरा ये है विचार ,
इसे हराने के लिए प्रतिपल हूँ तैयार…