मुक्तक
१.
हजारों एब हैं मुझमें, एब से लबालब भरी हूं मैं
खूबी बस इतनी,नफरत में भी प्यार ढूंढ लेती हूं मैं
जख्म गर सीने के हो तो,ठहाकों से सी लेती हूं मैं ।
… सिद्धार्थ
२.
सत्ता और सरकार तो तुम्हारे हक में फैसले सुनाती है
तुम बानर होक भी हनुमान हो
क्या तुम्हें भी हमारी हालत पे पवन पुत्र तरस नही आती है।
…सिद्धार्थ
३.
हमारे खाक हो जाने कि साहिब, तू अबकी फिकर न कर
करना है तो खुद के राह से भटक जाने की जीकर तू कर।
खामोश लब भी तो इतिहास के पन्नों पे पुकारे जायेंगे
इस लिए हमारे बुलंद हौसलों को तू तीतर बितर न कर।
… सिद्धार्थ