मुक्तक
हर गली हर नुक्क्ड़ से बस एक आवाज़ अब आएगा
भगत अश्फाक के देश में अब भूरे गोरे न टिक पायेगा
ग़ुलाम होठ भी उठ के तब इंक़लाब के नगमे गायेगा
ज़ुल्मत-ए-शब पे इंक़लाब का सुबह उतारा जायेगा।
…सिद्धार्थ
हर गली हर नुक्क्ड़ से बस एक आवाज़ अब आएगा
भगत अश्फाक के देश में अब भूरे गोरे न टिक पायेगा
ग़ुलाम होठ भी उठ के तब इंक़लाब के नगमे गायेगा
ज़ुल्मत-ए-शब पे इंक़लाब का सुबह उतारा जायेगा।
…सिद्धार्थ