मुक्तक
ना खारों से डरते हैं,ना तलवारों से डरते हैं
मुखौटे मे छिपे सारे ही किरदारों से डरते हैं,
धर्म की आंच पे जो रोटियां सेंके सियासत की
ये सच है यार हम तो उन अदाकारों से डरते हैं…
ना खारों से डरते हैं,ना तलवारों से डरते हैं
मुखौटे मे छिपे सारे ही किरदारों से डरते हैं,
धर्म की आंच पे जो रोटियां सेंके सियासत की
ये सच है यार हम तो उन अदाकारों से डरते हैं…