मुक्तक
?????मुक्तक?????
पीर अन्तरमन की छूपा कब पाते हैं।
वेदना हृदय की बरबस बह जाते है।
है दर्द प्रीत का कठिन इस जगत में-
जाने वाले जाकर भी दर्द छोड़ जाते है।।
#सचिन
?????मुक्तक?????
पीर अन्तरमन की छूपा कब पाते हैं।
वेदना हृदय की बरबस बह जाते है।
है दर्द प्रीत का कठिन इस जगत में-
जाने वाले जाकर भी दर्द छोड़ जाते है।।
#सचिन