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7 Sep 2019 · 1 min read

मुक्तक

तुझे भूलने की क़ोशिश नाक़ाम हो रही है।
तेरे बग़ैर मेरी तन्हा शाम हो रही है।
मैं भूल गया हूँ अपनी तमन्नाओं को मग़र-
हर साँस की रवानी तेरे नाम हो रही है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
1 Like · 479 Views
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