मुक्तक
१.
हमने तो कुछ भी कहा नही तुमने सुना कैसे
वो तो महज़ एक राज़ था फूलों के दिल का !
…सिद्धार्थ
२.
इंसान बने रहने की खूबी कुछ चंद हो
दिल में प्यार, आँखों में जरा सा शर्म
बेहिसी पे चोट करने का हैसला बुलंद हो !
…सिद्धार्थ
१.
हमने तो कुछ भी कहा नही तुमने सुना कैसे
वो तो महज़ एक राज़ था फूलों के दिल का !
…सिद्धार्थ
२.
इंसान बने रहने की खूबी कुछ चंद हो
दिल में प्यार, आँखों में जरा सा शर्म
बेहिसी पे चोट करने का हैसला बुलंद हो !
…सिद्धार्थ