मुक्तक
१.
जीत हार की सीमा से परे, दोस्ती अपनी निराली है
मैं थोड़ी अख्खड सी हूँ पुर्दिल, तू तो थोड़ा बबाली है !
…सिद्धार्थ
२.
सुनो न एक बार पूछो तो मूझ से, कैसी हो तुम
कसम से रो पड़ूँगी, क्यूँ कि यादों में तो हो तुम !
…सिद्धार्थ
**
शर्त लगाई थी क्या मैंने, यादों में तुमको जिन्दा रखूंगी
हारूंगी खुद को और तुझको यादों में अपने ताबिंदा रखूंगी !
…सिद्धार्थ