मुक्तक
कभी कभी लगता है कह दूँ पुर्दिल, समय लगेगा जाने में
कुछ सांसे अब भी अटकी हुई है, जीवन के खाली खाने में।
कभी-कभी दिल कहता है कि, मैं वही हूँ बंसीधर की बंसी
तुम अधरों पे धरलो मुझको मैं तो प्रेम की गंगा बन बरसी !
***
…सिद्धार्थ
कभी कभी लगता है कह दूँ पुर्दिल, समय लगेगा जाने में
कुछ सांसे अब भी अटकी हुई है, जीवन के खाली खाने में।
कभी-कभी दिल कहता है कि, मैं वही हूँ बंसीधर की बंसी
तुम अधरों पे धरलो मुझको मैं तो प्रेम की गंगा बन बरसी !
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…सिद्धार्थ