मुक्तक
तुम साथ न चल पाए दूर तक, कोई नही
हम अकेले भी तो न हुए…
मुझमे रहोगे तुम पुर्दिल जिंदगी भर के लिए !
…सिद्धार्थ
२.
और क्या था मेरे बटुए में … कुछ ख्वाब थे
कुछ टूट गए कुछ को तोड़े गए
हम हर बार थोड़े-थोड़े अंदर को मोडे गए !
…सिद्धार्थ
३.
कितने खुसनसीब होंगे वो जो तुम्हें भाते होंगे
छूकर तुम्हें पलकों से अपने रोज इतराते होंगे !
…सिद्धार्थ