मुक्तक
१.
बेहिसों की महफ़िल में लाश मेरी पड़ी रही
कागा वो तंगदिल न था सड़न से बचाने को !
…सिद्धार्थ
कई जमाने हुए तू बन याद, दिल के दयार से गुजरा ही नही
हम जीते रहे तेरे नाम को, बस तुझको कभी भुलाया ही नहीं !
…सिद्धार्थ
१.
बेहिसों की महफ़िल में लाश मेरी पड़ी रही
कागा वो तंगदिल न था सड़न से बचाने को !
…सिद्धार्थ
कई जमाने हुए तू बन याद, दिल के दयार से गुजरा ही नही
हम जीते रहे तेरे नाम को, बस तुझको कभी भुलाया ही नहीं !
…सिद्धार्थ