मुक्तक
१.
तुम तड़पो हमें हरगिज नही मंजूर
मगर तुम्हें तड़प का पता कैसे चले !
…पुर्दिल
२.
तुम्हारी यादों ने बेचैनियों के सिवा मुझे कुछ न दिया
अपने दिल को बस बर्बादी पे जश्न करते देखा है पुर्दिल !
…पुर्दिल
१.
तुम तड़पो हमें हरगिज नही मंजूर
मगर तुम्हें तड़प का पता कैसे चले !
…पुर्दिल
२.
तुम्हारी यादों ने बेचैनियों के सिवा मुझे कुछ न दिया
अपने दिल को बस बर्बादी पे जश्न करते देखा है पुर्दिल !
…पुर्दिल