मुक्तक
१.
मैं अजीब कुछ अलग ही किस्सा हूँ
तू मुझ में है और मैं तेरा हिस्सा हूँ !
…सिद्धार्थ
२.
तमाम रात कुछ ख़्वाब चुनते रहे
सुबह की किरणों ने फूल कर दिया
सारे रगं अपने एहसास के ही थे
बिन छुए ही अंगीकार कर लिया।
…सिद्धार्थ
३.
पत्थरों ने दिल होने का भ्र्म फैलाया
हमने धडकता दिल दे दिया
वो फितरत से अपनी बाज न आया
पत्थर हूँ कह कर हांथ झटक चल दिया
…सिद्धार्थ