मुक्तक
एक चुटकी नमक रखो दिल के ज़ुबान पे
ख़ुशियाँ साथ चलेंगी जिंदगी की ढलान पे !
***
कभी अखबारों में सच की सियाही से शब्द फूटते थे
आज पैसों के ईंधन से सच को सरे बाजार फूंकते हैं !
…सिद्धार्थ
एक चुटकी नमक रखो दिल के ज़ुबान पे
ख़ुशियाँ साथ चलेंगी जिंदगी की ढलान पे !
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कभी अखबारों में सच की सियाही से शब्द फूटते थे
आज पैसों के ईंधन से सच को सरे बाजार फूंकते हैं !
…सिद्धार्थ