मुक्तक
मिट्टी होकर एक दिन मिट्टी में ही तो मिल जाना है
धन-दौलत का करना क्या यही तो असली खजाना है ।
छीना-झपटी, कत्ल-खून से किस को क्या मिल जाना है
हमको तुमको और उनको सब छोड़ अंत में यही ठिकाना है !
…सिद्धार्थ
मिट्टी होकर एक दिन मिट्टी में ही तो मिल जाना है
धन-दौलत का करना क्या यही तो असली खजाना है ।
छीना-झपटी, कत्ल-खून से किस को क्या मिल जाना है
हमको तुमको और उनको सब छोड़ अंत में यही ठिकाना है !
…सिद्धार्थ