ये कैसी झाँकी है
ये कैसी झाँकी है समाज के।
पूत कपूत है कितना आज के।
मात-पिता के इज्जत भूले हैं-
ये नंगा नाचते बिन लाज के।।
-लक्ष्मी सिंह
ये कैसी झाँकी है समाज के।
पूत कपूत है कितना आज के।
मात-पिता के इज्जत भूले हैं-
ये नंगा नाचते बिन लाज के।।
-लक्ष्मी सिंह