मुक्तक
१.
तन को जंजीरों से तो बांध भी सकते हैं,
मन को किसी बिधि न साधा जायेगा,
बाजु कटे तो कट जाये, सर भी डाला जायेगा
और नहीं तो रूह से ही आजादी चिल्लाया जायेगा।
,…सिद्धार्थ
२.
हमारे खूँ में दौरता है इंकलाब-ए-तपिश
किस की औकात जो ठंडा इसे कर जायेगा।
खौफ की दविश बढ़ी है ये जान कर इंकलाब
आग से नहा कर कुंदन सा निखर ही आएगा !
…सिद्धार्थ
३.
रोजो रोटी के चक्कर में सब एक दूजे से भिड़े हुए हैं
एक दूसरे पे के पैरो में ही सब के सब गिरे हुए हैं !
…सिद्धार्थ