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5 Aug 2019 · 1 min read

मुक्तक

आप ज़बसे ज़िन्दग़ी में मिल गये हैं।
रास्ते मंज़िल के फ़िर से ख़िल गये हैं।
ज़ाग़े हुए से ख़्वाब हैं निग़ाहों में-
ज़ख़्म भी जिग़र के जैसे सिल गये हैं।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
489 Views
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