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4 Aug 2019 · 1 min read

मुक्तक

अबकी राख से आग होने का सोचा है,
ये न कर, मुझ से मेरी औकात न पूछ ।
माँ बहनों की आन-मान के लिए,
ताव देख मेरी, देख न मेरी मूछ!!
***…सिद्धार्थ

Language: Hindi
3 Likes · 426 Views
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