मुक्तक
मेरे जिस्म के गली में तुमने जश्न मनाई थी
मार कर मुझको, मुझ में मेरी कब्र बनाई थी !
…सिद्धार्थ
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सांप की बांबियों को तुम दूध पिलाते हो ?
जीते जागते इंसान के बच्चे को तरसाते हो ?
शब्द तो घाव लगा ही जाते हैं
मौन खरोंचे तो सहे नही जाते !
…सिद्धार्थ
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