मुक्तक
१.
लिख-लिख कर सफ़हे से मिटाया जा रहा है,
कुछ तो एहसास बचा है जिसे छुपाया जा रहा है !
…सिद्धार्थ
***
२.
बस एक आश लिए बैठी हूँ
काश तुम कुछ बोल जाते
…सिद्धार्थ
१.
लिख-लिख कर सफ़हे से मिटाया जा रहा है,
कुछ तो एहसास बचा है जिसे छुपाया जा रहा है !
…सिद्धार्थ
***
२.
बस एक आश लिए बैठी हूँ
काश तुम कुछ बोल जाते
…सिद्धार्थ