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31 Jul 2019 · 1 min read

मुक्तक

जब कभी भी तुमको देखता है कोई।
बेताब रास्तों से गुज़रता है कोई।
किस तरह रुकेगा निग़ाहों का तड़पना?
जब हुस्न की आग़ से ज़लता है कोई।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
546 Views
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