मुक्तक
जब कभी भी तुमको देखता है कोई।
बेताब रास्तों से गुज़रता है कोई।
किस तरह रुकेगा निग़ाहों का तड़पना?
जब हुस्न की आग़ से ज़लता है कोई।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
जब कभी भी तुमको देखता है कोई।
बेताब रास्तों से गुज़रता है कोई।
किस तरह रुकेगा निग़ाहों का तड़पना?
जब हुस्न की आग़ से ज़लता है कोई।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय