मुक्तक
वेदना को शब्द के परिधान पहनाओ
ज़िंदगी के दर्द को गीतों में सजाओ
खोज ही लेंगे गगन ये नन्हे परिंदे
इन परिंदों के ज़रा तुम पंख फैलाओ,
वेदना को शब्द के परिधान पहनाओ
ज़िंदगी के दर्द को गीतों में सजाओ
खोज ही लेंगे गगन ये नन्हे परिंदे
इन परिंदों के ज़रा तुम पंख फैलाओ,