मुक्तक
मेरी आरजू को मचलने दो!
रोशनी चाहतों की जलने दो!
ख्वाब नजर आये हैं ख्यालों में,
सरहदें साँसों की पिघलने दो!
#महादेव_की_कविताऐं'(18)
मेरी आरजू को मचलने दो!
रोशनी चाहतों की जलने दो!
ख्वाब नजर आये हैं ख्यालों में,
सरहदें साँसों की पिघलने दो!
#महादेव_की_कविताऐं'(18)