मुक्तक
मशवरा मेरा है कि बेहद सम्हलकर देखना,
आसमां के ताज पर अटका मेरा पर देखना,
आके मेरे कान में बेबस हवा ये कह गई
जल्द ही लौटूंगी मैं बन कर बवंडर देखना॥
मशवरा मेरा है कि बेहद सम्हलकर देखना,
आसमां के ताज पर अटका मेरा पर देखना,
आके मेरे कान में बेबस हवा ये कह गई
जल्द ही लौटूंगी मैं बन कर बवंडर देखना॥