मुक्तक
अश्क खारे लहू लाल सबका यहां,
अजनबी है यहाँ सख्स कोई कहां
दर्द का दर्द से दर्द तक का सफ़र,
इक किस्सा है सब एक जैसा जहां
अश्क खारे लहू लाल सबका यहां,
अजनबी है यहाँ सख्स कोई कहां
दर्द का दर्द से दर्द तक का सफ़र,
इक किस्सा है सब एक जैसा जहां