मुक्तक
क्यूँ सीमा पर है रक्त बहता क्यूँ बनी रहती है तकरार,
क्यूँ चैन इधर ना रहता क्यूँ बेचैनी है उस पार।
अरे पूछो जाकर जिनके बेटे, पिता या पति खो जाते,
क्यूँ खत्म ना होती दुश्मनी क्यूँ ना बांटते आपस में प्यार।।
अशोक छाबडा
गुरूग्राम
क्यूँ सीमा पर है रक्त बहता क्यूँ बनी रहती है तकरार,
क्यूँ चैन इधर ना रहता क्यूँ बेचैनी है उस पार।
अरे पूछो जाकर जिनके बेटे, पिता या पति खो जाते,
क्यूँ खत्म ना होती दुश्मनी क्यूँ ना बांटते आपस में प्यार।।
अशोक छाबडा
गुरूग्राम