मुक्तक
बेक़रार लम्हों से जब बात होती है!
धीरे-धीरे दर्द की शुरुआत होती है!
खोजती है जिन्दगी जामे-पैमानों को,
मयकशी की जैसे तन्हा रात होती है!
#महादेव_की_कविताऐं’
बेक़रार लम्हों से जब बात होती है!
धीरे-धीरे दर्द की शुरुआत होती है!
खोजती है जिन्दगी जामे-पैमानों को,
मयकशी की जैसे तन्हा रात होती है!
#महादेव_की_कविताऐं’