मुक्तक
मैं हर ख़्वाब में एक मंज़र रखता हूँ।
मैं ज़ख़्मों को दिल के अंदर रखता हूँ।
कभी इम्तिहान ले लो मेरे सब्र का-
मैं ख़ुद में ग़मों का समन्दर रखता हूँ।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मैं हर ख़्वाब में एक मंज़र रखता हूँ।
मैं ज़ख़्मों को दिल के अंदर रखता हूँ।
कभी इम्तिहान ले लो मेरे सब्र का-
मैं ख़ुद में ग़मों का समन्दर रखता हूँ।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय