मुक्तक
कुछ स्याह से दिख रहे हो तुम…
कुछ बदला है क्या ?
तुम तो लड़ाकों के पहचान हो…
तुम्हें याद दिलाना पड़ेगा क्या ?
अपने लाल पंखों को
लहराओ फिर से एक बार
ये भी,बताना पड़ेगा क्या ?
…सिद्धार्थ …
कुछ स्याह से दिख रहे हो तुम…
कुछ बदला है क्या ?
तुम तो लड़ाकों के पहचान हो…
तुम्हें याद दिलाना पड़ेगा क्या ?
अपने लाल पंखों को
लहराओ फिर से एक बार
ये भी,बताना पड़ेगा क्या ?
…सिद्धार्थ …