मुक्तक
जब धुप की चाँदी जम कर सर पे बरसेगी
साया भी अपने दामन से लिपटने को तरसेगी
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खिली धुप में तुम पुर्दिल सबनम सा मोती रख देना
मोती तुम को कह कर के, साया बन पैरों में खेलूंगी !
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हर पल में है तू प्यार बनके, हर लम्हें में करार बनके
कोई लम्हा ऐसा गुजरता नहीं जिस में तेरी याद न हो
तू हो के न हो सांसो में महकता है फ़रियाद बन के !
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…पुर्दिल…