मुक्तक !
मैं मधुशाला बन जाऊँ, तुम बनना मेरा साक़ी
तुम प्रेम प्याला छलका देना, मैं अधरों पे बांकी !
रोज जरा सा मुझ से मिल जाना तुम साक़ी
अधरों पे अधूरी न रह जाए प्रेम कि बातें ताकि !
***
18-05-2019
…पुर्दिल …
मैं मधुशाला बन जाऊँ, तुम बनना मेरा साक़ी
तुम प्रेम प्याला छलका देना, मैं अधरों पे बांकी !
रोज जरा सा मुझ से मिल जाना तुम साक़ी
अधरों पे अधूरी न रह जाए प्रेम कि बातें ताकि !
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18-05-2019
…पुर्दिल …