मुक्तक
मैं तेरे तसव्वुर को चूमता रहता हूँ।
मैं राहे-ज़ुस्तज़ू में घूमता रहता हूँ।
जब घेरती है मदहोशी तेरे हुस्न की-
मैं मयक़दों में अक़्सर झूमता रहता हूँ।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मैं तेरे तसव्वुर को चूमता रहता हूँ।
मैं राहे-ज़ुस्तज़ू में घूमता रहता हूँ।
जब घेरती है मदहोशी तेरे हुस्न की-
मैं मयक़दों में अक़्सर झूमता रहता हूँ।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय