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8 May 2019 · 1 min read

मुक्तक !

बस दो टका दे के, सौ टका का ईमान खरीदने आई है
हमारी सरकार हमें हाशिये पे धकेलने कि क़वायद लाई है।

हम जिन्दा लाशों के ढेरो से खून की बू शायद उठ आई है
हमारे हर एक हिस्से से वो अपना भूख मिटाने अब आई है।

/
जो तुम जागे न अब तो तुम्हें नीलाम कर देंगे,
बैठेंगे खुद अर्श पे और तुम्हें बदनाम कर देंगे…

***
08-05-2019
…सिद्धार्थ …

Language: Hindi
2 Likes · 178 Views
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