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7 May 2019 · 1 min read

मुक्तक

तीर नज़रों के चलाने आ गये
मुझको दीवाना बनाने आ गये

हो गयी उल्फ़त उन्हें हमसे यही
वो सरे महफ़िल बताने आ गये

प्रीतम राठौर भिनगाई

Language: Hindi
1 Like · 447 Views
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