मुक्तक
रिश्तों का दर्पण टूट रहा है बीच बहस में,
सबके सब बैठे है आंखे मीच बहस में,
मन्दिर, मस्ज़िद, गिरजे, गुरूद्वारे बौने
सबकी ऊँचाई शामिल है नीच बहस में,
रिश्तों का दर्पण टूट रहा है बीच बहस में,
सबके सब बैठे है आंखे मीच बहस में,
मन्दिर, मस्ज़िद, गिरजे, गुरूद्वारे बौने
सबकी ऊँचाई शामिल है नीच बहस में,