मुक्तक !
तन को मन पे रखोगे या फिर मन को तन पे रखोगे
मंजिल को चलोगे या संग चलते रहोगे जीबन भर…
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तन की दहलीजों से परे मन संग साथ चलूंगी मैं
तेरे पद चापों पे पुर्दिल दिल को अपने रखूंगी मैं…
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जो इस से भी दिल न भरा एक उम्र मांग कर आऊंगी
तन-मन दोनों संग चलूंगी पुर्दिल भूल न जाना तुम…
…पुर्दिल …
28-04-2019